मालमत्ता लातूर (संजाववाता) लातूर नगर परिषद का रुपांतर महानगरपालिका में होने के बाद शहर के नागरीकों पर विविध करों के माध्यम से आर्थिक लूट की जा रही है. लातूर मनपा ड वर्ग हैं. अन्य महापालिकाओं के साथ साथ शहर में कर लागू किया जा रहा है. लागू किया जानेवाला कर आम नागरीकों के बस के बाहर है. इसलिए नागरीकों का आथिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस मसले का हल निकालने की बजाए सत्ताधारी और विपक्ष को सांप सूंघ गया है. नगरसेवक भी खामोश हैं. इसलिए नागरीक आंदोलन करने की फिराक में हैं इस मसले को हल करने के लिए लातूर व्यापारी महासंघ आगे आया है. लातूर की नगर पालिका को बरखास्त करके महापालिका की स्थापना की गयी. लातूर को महापालिका की ज़रूरत नहीं थी लेकिन तत्कालिन नेताओं के ज़िद के आगे महापालिका बनाकर आम नागरीको पर आर्थिक भार डाला गया. महापालिका होने से नागरीको नागरीकों पर कर उठाने का भार लाग किया गया है. कर को लाग करते हए लातूर शहर और यहां के रहिवासियों के आर्थिक स्थितियों का जायज़ा नहीं लिया गया. मुंबई निकट वाशी शहर की तरह कर लागू की गई इसलिए कई नये प्रश्नों ने जन्म नाम पर लातूर लिया है. भूखंड नियमित न होते हुए रजिस्टर तथा मालिकाना हक्क में पालिका नौद की गयी इसका जवाब कोई भी नहीं दे रहा. गुंठेवारी अधिनियम होने किया के बावजूद पूर्व के भूखंड नियमित नया करना अभिप्रेत है लेकिन वैसा नहीं किया गया और गब्बरसिंग टॅक्स वसूला जा रहा है जो नागरीकों के नागरीक लिए बेहद तकलीफ दे है. हो इसलिए इस मामले में नागरीक लातर व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष प्रयास प्रदीप सोलंकी, स्थायी समिती के सभापती दीपक मठपती और नागरीको ने शासन से पत्रव्यवहार किया. प्रदीप सोलंकी ने तत्कालिन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की मुलाकात लेकर इस हुए मसले के हल की मांग की. शासन पालिका को सूचित भी किया लेकिन पालिका ने इस ओर नज़र अंदाज होने किया और कड़े कर को रद्द करके नया कर लागू करें नहीं तो कड़ा नहीं आंदोलन करने की चेतावनी प्रदीप सोलंकी दी है. घर बनाते समय नागरीक कई समस्याओं से दो चार हो जाते हैं उस पर मात करके नागरीक अपना घर खड़ा करने का अध्यक्ष प्रयास करते हैं ऐसे में परवाने के लिए महापालिका नागरीकों से काफी पैसा वसूल करती है. कर्मचारी नज़र अंदाज़ कर देते हैं इसलिए बीच का रास्ता निकालते हुए नागरीक परवाना देने की विनंती करते हैं. एहसान किए जाने की भावना से पैसा खाकर परवाना दिया जाता है. पालिका के कर्मचारी अपना कारोबार चमकाने के लिए पालिका कर्मचारी ने लाखों रुपयों का माल जमा किया है. इस पर पदाधिकारी और प्रशासन कोई भी कार्रवाई नहीं करते इसमें पालिका पदाधिकारी और कर्मचारियों का हिस्सा तो नहीं है? ऐसा सवाल उठाया जा रहा है. लातूर मनपा शहरवासियों पर कर अकारणी का बोझ डालकर नागरीकों के रोष को खिच रही है जिसका खामियाजा मनपा को भूगतना पड़ सकता है. क्युंके नागरीक कभी भी मनपा के विरोध में आंदोलन का हथियार उठा सकते हैं.
मालमत्ता कर के नाम पर लातूर मनपा की नागरीको से लूट!